Thursday 22 January 2015

मप्र के राज्यपाल रामनरेश यादव से पत्रकार प्रवीण श्रीवास्तव व राजकुमार सोनी की सौजन्य भेंट


भोपाल। मिशन फॉर मदर के संचालक प्रवीण श्रीवास्तव व पत्रकार राजकुमार सोनी ने 22 जनवरी को दोपहर 12 बजे मप्र के राज्यपाल रामनरेश यादव से राजभवन में सौजन्य भेंट की। इस अवसर पर राज्यपाल को मां कविता संग्रह व तस्वीर भेंट की गई। राज्यपाल रामनरेश यादव ने मिशन की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए मिशन के उज्जवल भविष्य की कामना की। राज्यपाल ने अपने माता-पिता के रोचन संस्मरण भी सुनाए।




Friday 28 March 2014

सूर्य व शुक्र बनवाएंगे मोदी को पीएम





प्रधानमंत्री पद पर पहुंचने के लिए महिला शक्ति होगी मददगार

- राजकुमार सोनी

मई में गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर सत्तासीन होंगे। मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाने में किसी खास महिला का योगदान होगा। ऐसा योग सूर्य व शुक्र ग्रह से बन रहा है। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी के ज्योतिषीय आकलन दृष्टिकोण से मप्र के प्रमुख भविष्यवक्ताओं व ज्योतिषियों से अबकी बार किसकी सरकार और कौन बनेगा प्रधानमंत्री के बारे में बात की। इन प्रकांड विद्वानों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को सर्वाधिक सीटें हासिल होंगी और एनडीए की सरकार के मुखिया इस बार लालकृष्ण आडवाणी की बजाय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे। लोकसभा में एनडीए को 250 से 275 सीटें मिलेंगी जबकि यूपीए को 80 से 110 सीटें ही मिल पाएंगी।

इंदौर के लालकिताब विशेषज्ञ एवं भविष्यवक्ता पं. आशीष शुक्ला के अनुसार शनि शत्रु राशि में होकर चतुर्थ पर पूर्ण दृष्टि रखने से जनता के बीच प्रसिद्ध बना रहा है। भारत की अधिकांश जनता भावी प्रधानमंत्री के रूप में देख रही है। दशमेश बुध एकादशेश के साथ है। दशमेश सूर्य, केतु से भी युक्त है। सूर्य का महादशा में लग्नेश मंगल का अन्तर चल रहा है जो दशमेश होकर लाभ भाव में व मंगल स्वराशि का होकर लग्न में है। यह समय भाजपा को उत्थान की ओर लेजाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बन जाएंगे। पं. शुक्ल ने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी का योग प्रधानमंत्री बनने का नहीं है।
सागर के ज्योतिषाचार्य एवं अंक शास्त्री पं. पीएन भट्ट के अनुसार नरेन्द्र मोदी की जन्म राशि वृश्चिक है। शनि की साढ़े साती का प्रथम चरण चल रहा है। राजभवन में विराजे शुक्र में पराक्रमेश शनि की अन्तर्दशा में गुजरात के मुख्यमंत्री बने। 02.12.2005 को शुक्र की महादशा के बाद राज्येश सूर्य की महादशा जो 03.02.2011 तक चली। तत्पश्चात् 03.02.2011 से भाग्येश चन्द्र की महादशा का शुभारम्भ हुआ। ज्योतिष ग्रंथों में वर्णित है कि एक तो भाग्येश की महादशा जीवन में आती नहीं है और यदि आ जाए तो जातक रंक से राजा तथा राजा से महाराजा बनता है।  मोदी भाग्येश की महादशा में मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बन सकते हैं, किन्तु चन्द्रमा में राहु की अन्र्तदशा ग्रहण योग बना रही है तथा 20 अप्रैल से 20 जुलाई 2014 के मध्य व्ययेश शुक्र की प्रत्यन्तर दशा कहीं प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने के प्रबल योग को ण न कर दें? यद्यपि योगनी की महादशा संकटा में सिद्धा की अन्तर्दशा तथा वर्ष कुण्डली में वर्ष लग्न जन्म लग्न का मारक भवन (द्वितीय) होते हुए भी मुंथा पराक्रम भवन में बैठी है तथा मुंथेश शनि अपनी उच्च राशि का होकर लाभ भवन में विराजमान है। जो अपनी तेजस्वीयता से जातक को 7 रेसकोर्स तक पहुंचा सकता है। किन्तु एक अवरोध फिर भी शेष है और वह है सर्वाष्टक वर्ग के राज्य भवन में लालकृष्ण आडवानी और राहुल गांधी की तुलना में कम शुभ अंक अर्थात् 27.  साथ ही ''मूसल योग'' जातक को दुराग्रही बना रहा है तथा केमद्रुम योग, जो चन्द्रमा के द्वितीय और द्वादश में कोई ग्रह न होने के कारण बन रहा है। उसका फल भी शुभ कर्मों के फल प्राप्ति में बाधा। वर्तमान में भाग्येश चन्द्रमा की महादशा चल रही है, जो दिल्ली के तख्ते ताऊस पर  मोदी की ताजपोशी कर तो सकती है किन्तु केमद्रुम योग तथा ग्रहण योग इसमें संशय व्यक्त करता नजर आ रहा है? 
ग्वालियर के भविष्यवक्ता पं. एचसी जैन ने बताया कि नरेंद्र मोदी की कुंडली में केन्द्र का स्वामी केन्द्र में होकर त्रिकोण के साथ लक्ष्मीनारायण योग बना रहा है। यह योग कर्म क्षेत्र को धनवान बनाने में समर्थ है। यही कारण है कि नरेंद्र मोदी की ख्याति विरोध के बावजूद लगातार बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि लोकसभा में एनडीए को 250 से 275 सीटें मिलेंगी जबकि यूपीए को 80 से 110 सीटें ही मिल पाएंगी। जैन ने बताया कि मोदी को प्रधानमंत्री बनवाने में किसी खास महिला का विशेष योगदान रहेगा।


जन्मकुंडली : नरेन्द्र मोदी
जन्म दिनांक : 17 सितम्बर, 1950
जन्म समय : 11 बजे प्रात:
जन्म स्थान: मेहसाना (गुजरात)   

Monday 3 March 2014

महाभारत में कुंती की भूमिका मेरे लिए चुनौती थी : शफाक नाज

झीलों की नगरी को कहा - वाकई खूबसूरत है भोपाल


राजकुमार सोनी
भोपाल।
खूबसूरत अदाकारा शफाक नाज ने कहा, महाभारत में कुंती की भूमिका निभाना मेरे लिए एक चुनौती थी जबकि मैं एक मुस्लिम लड़की हूं। हमने महाभारत की एबीसीडी भी नहीं पढ़ी थी, लेकिन इस चुनौती को स्वीकार करते हुए हमें बहुत अच्छा लग रहा है।

22 वर्षीय शफाक नाज ने कहा कि महाभारत एक ऐसी महागाथा है जो हमेशा बड़ी संख्या में दर्शकों को आकर्षित करता है और स्टार प्लस ने अपने महाभारत को युवाओं के समक्ष आज के समय में प्रासंगिक बेहतरीन किरदारों और पहले कभी न देखे गये आनोखे विजुअल्स के साथ पेश किया है। समृद्ध प्रोडक्शन, बेहतरीन वीएफएक्स व ग्राफिक्स और इसमें अंतर्निहित ड्रामा के साथ कहानी हर उम्र के दर्शकों को लुभा रही है। कुंती का किरदार निभाने वाली शफाक नाज भोपाल की खूबसूरत झीलों में मौजूद थीं और इस महागाथा में अपनी भूमिका को लेकर अपनी खुशी व्यक्त की। ''पाण्डवों की मां की भूमिका करना मेरे लिये सौभाग्य की बात है। मुझे खुशी है कि शो को हर तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं और सप्ताह दर सप्ताह इसमें दर्शकों की रूचि बढ़ती जा रही है, उन्होंने कहा, ''आज के आधुनिक समय में इस महागाथा की प्रासंगिकता को खूब पसंद किया जा रहा है। प्रोडक्शन हाउस हर किरदार की बारीकी का खास ध्यान रखता है। अर्जुन (शाहीर शेख अभिनीत) को सच्चे योद्धा की तरह दिखाया गया है जो हमेशा सामने से आक्रमण करने में विश्वास रखता है। भगवान कृष्ण (सौरभ जैन अभिनीत) की भूमिका आधुनिक सच्चाइयों के बारे में आंखें खोलने का काम करती है। द्रौपदी (पूजा शर्मा अभिनीत) का किरदार बहुत सावधानी से विकसित किया गया है। मेरा किरदार कुंती भी बहुत खूबसूरती से गढ़ा गया है, उसका उसके बेटों से संबंध और बेटों के लिये गये निर्णय रिश्तों की ताकत दिखाता है। स्टार प्लस पर सोमवार से शनिवार तक रात 8.30 बजे प्रसारित शो महाभारत की टीआरपी लगातार बढ़ती जा रही है।

मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि स्टार बनूंगी
मैं स्टार कभी नहीं बनना चाहती थी। मैने एमबीए की और उसके बाद प्रोफेशनल काम करने की कोशिश थी। मुझको कुंती का किरदार करने का आफर आया तो समझ नहीं आया कि क्या करूं। मुस्लिम होने की वजह से महाभारत के बारे में ज्यादा नहीं जानती। शफाक ने कहा कि महाभारत के बारे में सुना है, देखा है पर कैसे उसके डायलॉग बोलूंगी, यह नहीं समझ आ रहा था। किरदार निभाने के लिए मैने मार्केट से किताबें खरीदीं, कई वर्कशॉप कीं। तब जाकर यह रोल निभा सकीं। उन्होंने कहा कि अब पांडव और कौरवों के बड़े होने का समय आ गया है। इस लिए अब उनका किरदार भी कुछ बदलने वाला है। उन्होंने कहा कि यह महाभारत और बीआर चोपड़ा की महाभारत दोनों ही अलग हैं।

शफाक नाज के सीरियल

1. विदाई (स्टार प्लस) 2. संस्कार लक्ष्मी (जीटीवी) 3. शुभ विवाह (सोनी) 4. आहत 5. अदालत
6. क्राइम पेट्रोल 7. सूर्या 8. जेजे जासूस (सब टीवी) 9. ये इश्क है (स्टार वन)

सिल्वर स्कीन सबसे बेहतर
शफाक नाज ने कहा कि अगर मुझे फिल्मों में बेहतर भूमिका मिली तो मैं अवश्य काम करूंगी। वैसे में हीरो में सबसे ज्यादा रणवीर कपूर व हीरोइन में रेखा, दीपिका पादुकोण, विद्या बालन पसंद है।

Tuesday 27 November 2012

अपनी उलझी समस्याओं को सुलझाएं




शक्तियों का साक्षात चमत्कार
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि कलियुग में शक्तियों का साक्षात चमत्कार देखने को मिलता है। किसी भी जातक ने थोड़ी सी भी पूजा-अर्चना कर ली उसे तुरंत लाभ मिलता है। अगर आप भी किसी भी समस्या से घिरे हैं और तत्काल निदान चाहते हैं तो शक्तियों का अद्भुत चमत्कार अनुभव कर सकते हैं। अगर आपको बाकई ढोंगी तांत्रिकों, बाबाओं, जादू-टोना वालों से बेहद तंग और परेशान हो चुके हैं तो सच्ची शक्तियों की कृपा प्राप्त कर अपनी उलझी हुई समस्याओं का निदान प्राप्त कर जीवन को खुशहाल बना सकते हैं। एक बार आपने शक्तियों की विशेष कृपा प्राप्त कर ली तो आपका जीवन धन्य हो जाएगा। हर जातक के जीवन में अनेकानेक समस्याएं आती रहती हैं उन से वह कुछ समय के लिए छुटकारा तो पा लेता है लेकिन कई समस्याएं ऐसी हैं जो जिंदगी भर जातक इनसे छुटकारा नहीं पा सकता। रोजाना का पारिवारिक कलह, पति-पत्नी में मन-मुटाव, आसपास के पड़ोसियों की द्वेष भावना, ऊपरी हवा का चक्कर, जमीन-जायदाद, कोर्ट-कचहरी, प्रेम में विफलता, तलाक की नौबत, धन की बेहद तंगी, बेरोजगार, सास-बहू में अनबन, किसी भी काम में मन नहीं लगना, बीमारियों का पीछा नहीं छूटना, शत्रुता जैसी समस्याएं हर जातक को घेरे रहती हैं। अगर आप इन सभी का सटीक निदान चाहते हैं तो एक बार जरूर संपर्क करें।

- पंडित राज
चैतन्य भविष्य जिज्ञासा शोध संस्थान
एमआईजी-3/23, सुख सागर, फेस-2
नरेला शंकरी, भोपाल -462023 (मप्र), भारत
मोबाइल : +91-8827294576
ईमेल : panditraj259@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

Friday 15 June 2012

पर्यटक स्थल सनकुआ




सिन्धु नदी वन दण्डक सौ, सनकादि सौ क्षेत्र सदा जल गाजै




- राजकुमार सोनी

शौण्ड्र शैल की सुरम्य वनस्थली, अपलक आकाश की ओर निहारते एवं भूमि पूजन के लिए कुसुमांजलि बिखेरती हुई सघन द्रुमों से शोभित गिरि श्रृंखलाएं। चरणों के कल निनाद प्रपूरित विहंगावलियों के मृदुल स्वरों से बरबस मानव मन को आकृष्ट करते कलगानों से संबंधित अरण्य की मनोहारिणी आभा। उदित और अस्त होते हुए दिवाकर की हेमाभा से रचित चित्रावलियों से अन्र्ततम को आकृष्ट करती मनोवृत्तियों को केन्द्रीभूत कर प्रफुल्लित करती एवं विभिन्न दृश्यों  से स्वर्गिक आनंद का अनुभव कराती प्रकृति का मातृ तुल्य दुलार इस सनकेश्वर क्षेत्र की अपनी एक विशेषता है। प्रकृति के सान्त वातावरण में स्थित एवं सौन्दर्य से परिपूरित यह स्थान आधुनिक परिवहन साधना के द्वारा देश के बड़े-बड़े नगरों से जुड़ा होने पर भी शासन की उपेक्षा से अन्धकूप में पड़े व्यक्ति की तरह छटपटा रहा है। उसे आशा है शासन के स्नेह मय दुलार की जिसे हृदय में संजोए वह वर्षों से बाट जोह रहा है। आइये इस स्थान की कुछ विशेषताओं पर दृष्टि डालें।
आप अनुभव करेंगे कि प्रकृति के अपरिसीमित वरदानों से समन्वित खनिजों की अपरिमित समृद्धि से संयुक्त यह उत्कृष्ट स्थान एक मात्र केन्द्रीय शासन एवं प्रादेशिक शासन की उपेक्षा से ही सौतेली मां के शिशु की तरह दुलार से वंचित रहा है।
सेंवढ़ा जिला दतिया, मध्यप्रदेश की एक मात्र पहली तहसील है। दूसरी तहसील भाण्डेर को समलित किया गया है। यह स्थान न्यायालय, एसडीओ राजस्व, एसडीओपी, एसडीओ सिंचाई, पीडब्ल्यू डी इंजीनियर, विद्युत टावर, एसटीडी की दूर संचार सुविधाओं से पूर्णत: समन्वित है। देश की समृद्धशाली बैंकों की शाखाओं एवं चतुर्दिक गमन करती बसों द्वारा यह स्थान जुड़ा हुआ है। अनाज की एक बड़ी मंडी तथा शिक्षा एवं कला में स्नातकोत्तर शिक्षा की सुविधा प्राप्त पुरातात्विक भग्नावशेषों से युक्त बड़ी नगरी है। सिन्ध नदी विन्ध शैल की श्रृंखलाओं का आश्रय लेती हुई यहां अपना अनुपमेय प्रकृति वैभव बिखेरती है। इस स्थान पर आकर सिन्धु सरिता मनोरम झरने बनाती है। ऊपर से नीचे की ओर गिरती सिन्धु धारा, दुग्ध धवल होकर बड़ा मनमोहक दृश्य कर देती है। गिरते हुए जल से ऊपर की ओर उड़ते जल कण धूमयुक्त कुहरे का सुन्दर दृश्य उपस्थित कर शरीर स्पर्श से मानव मन को शीतलता प्रदान कर हरा कर देता है। नीचे पहाड़ों को काटकर बनाई गई सुरम्योपत्यकाएं अजन्ता और एलोरा की गुआओं की होड़ सी करती हुई हमारा मन आकर्षित करती हैं। सिन्धु नदी को पार करने के लिए दो सुरम्य सेतु हैं। एक बड़ा और दूसरा छोटा। ये दोनों ही सेतु इसकी सुरम्यता में चतुर्गुण वृद्धि करते हैं।
छोटे सेतु से सरित्प्रवाह को रोकने के लिए उसके दरवाजों में खांचे बने हुए हैं। जिनमें काष्ठ के पटिये डालकर उसके प्रवाह को रोका जा सकता है, जिससे एक बांध का स्वरूप बनकर पर्यटकों के लिए स्विमिंग पूल का कार्य पूर्ण करेगा। पहाड़ी, चट्टानों से मोहक दृश्य उपस्थित करता हुआ यह स्थान मठों, मंदिरों, शिवालयों, सतियों के स्मारकों से परिपूर्ण आगत यात्रियों, पर्यटकों को आनंद विभोर कर आश्चर्य चकित कर देता है।
सेंवढ़ा (सनकुआं) के संबंध में पद्म पुराण के तीर्थ खम्ड के द्वितीय अध्याय में विस्तार से वर्णन है। नारद जी सनत्कुमारों को तपस्या के लिए स्थान बताते हुए कहते हैं -
स्थलं पुष्प फलैयुक्तिं प्रसान्त स्वापदा हृतं।
भवद्भिस्तप्यतां तत्रयेन क्रोधस्तु शान्तिग:।।

एक अन्य स्थानीय राज्य सम्मान प्राप्त संस्कृत कवि इस सरिता के सौन्दर्य का वर्णन करते हुए लिखते हैं -
मज्जद्देव वधू कुच द्वय गलत्क स्तूरिका कुंकुमै:।
श्वेतैश्चंदन बिंदुश्चि तनुते शोभा प्रयागोद्भवाम।।
पंचद्वीचि विनाशिता शिल पायान्जना नन्दिका।
सां सिन्धु: सनकेश मस्तक लतापायादपायाज्जगत्।।

प्रसिद्ध संत कवि अक्षर अनन्य इस स्थान के सौन्दर्य का वर्णन करते हुए लिखते हैं -
सिन्धु नदी वन दण्डक सौ, सनकादि सौ क्षेत्र सदा जलगाजै।
काशी सौवास घनेमठ सम्बु के साधु समाज जै बोलै सदा जै।।
कोट अदूर बनौ हिरि पै प्रभु सौ प्राथिचन्द नरेस विराजै।
उद्धित मंदिर तीर नदी तिहि आसन अस्थितर अच्छिर छाजै।।

महाकवि मैथली शरण गुप्त एवं प्रसिद्ध कवि अजमेरी जी भी इसके प्राकृतिक वैभव का दर्शन कर लिखे बिना न रह सके। लेखक ने स्वयं भी हिन्दी एवं संस्कृत में अनेकों कविताएं अनुपम सौन्दर्यमयी सिन्धु के दिव्य दृश्यों से प्रभावित होकर लिखी हैं। जिनमें से संस्कृत का उदाहरण देखिये-
सुर सुरेन्द्र मनस्पृशे में कारिणी।
नियति क्रीडनिका सुखदा स्थली,
सनकादि तप प्रभचन्ति प्रवितनोतु रसं सरसमेन:।।
अति सुरम्य प्रकृत्यखिला मुदा,
सुरभि पुष्प चितन्वित सुद्रुमा;
तरुलता हरितां गिरि श्रृंखला,
सुमन रञजयतं गिरिकानन: गिरि शिखरे।
परिस्म्य शिवालय: विविध आश्रमसंत महत्व:
लसति निर्झर मञजु सरिच्छटा किरति
दिव्य हिमांशु रसंमुदर
शुंभ सरिंत्सलिलाद्रं सुखप्रदा वसंति सिंधु
तटं व्याभिरामसा।
सनकनंदन पावन तीर्थ या लसतिसा
सेवदेति शुभ प्रदा।

सिन्धु के किनारे निर्मित राज प्रासाद की उतुंग अट्टालिकाओं का दृश्य जन मन को आकर्षित करता है एवं प्राचीन दुर्ग की प्रार्चा में व बुर्ज स्थान की शोभा में वृद्धि कर पर्यटकों के आकर्षण के केन्द्र बन जाते हैं। वास्तु कला की दृष्टि से दुर्ग के अन्तरस्थ रनवासों, प्रासादों की निर्माण कला अत्यंत उत्कृष्ट है। शत्रु के आक्रमण से सुरक्षा की दृष्टि से भी ये दुर्ग अपने में अनूठा और बेजोड़ है।
सनकादि ऋषियों की तपस्थली होने के कारण यह सृष्टि के आरंभ में भी गणमान्य स्थानों में था। इस कारण पौराणिक काल में यह समृद्ध स्थानों की श्रेणी में आता रहा होगा, जिसके प्रमाण यहां के मठ, मंदिर और भवन दुमंजिले, तिमंजिले खण्डर हैं। अत: पुरातत्वविदों के लिए यहां पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है। प्राचीन मूर्तियां यहां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। अमरा ग्राम से प्राप्त एक शिव मूर्ति जो उत्खनन से प्राप्त है, बौद्ध कालीन मूर्तिकला में बेजोड़ है। राजराजेश्वरी माता मंदिर के पास स्थित चबूतरे पर जो नव दुर्गा की मूर्ति थी वह कला की दृष्टि से अद्वितीय थी जिसमें पत्थर को बारीक काटकर आभूषण पहनाये गए थे, वह आश्चर्य चकित कर देने वाली मूर्ति थी, यह मूर्ति सन् 1992 में चोरी चली गई। इसी तरह अजयपाल के विकट प्राप्त पत्थर की बारीक कटाई से युक्त प्राचीन सुन्दर मूर्तियां भी चोरी चली गईं। टंकन कला में अद्वितीय ये मूर्तियां सुरक्षा की व्यवस्था न होने से प्रतिवर्ष चोरों की जीविका का साधन बनी हुई हैं। ये चोर विदेशों में इन मूर्तियों को ऊंचे दामों में बेच देते हैं।
पुराने सेंवढ़ा में उत्खनन से नक्काशीदार पक्के रंगीन चित्रकारी से युक्त जो भवन भूमि के नीचे से निकाले गए हैं वे पुरातत्वविदों के लिए शोध की पर्याप्त सामग्री प्रस्तुत करने में बहुत सहायक हैं।
सेंवढ़ा से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित विशाल रतनगढ़ वाली माता का अत्यन्त प्राचीन सिद्ध मंदिर है। यह स्थान अब जन आकांक्षाओं को पूर्ण करने वाला स्थान बन गया है। यह स्थान हर सोमवार को दर्शनार्थियों के आवागमन से परिपूर्ण रहता है। दीपावली की दौज को हर साल विशाल मेला लगता है, जिसमें लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं और अपनी मुरादें पूरी करते हैं। भाईदौज, दीपावली को द्वितीया के दिन अपार जन समुदाय और दुकानदारों के आगमन से एक विशाल मेले का रूप धारण कर लेता है। इस मंदिर के पीछे कुंवर साहब बाबा का स्थान है जिनके नाम से सर्प के बंध लगाए जाते हैं। कोबरा, काले विषधर सर्प का काटा हुआ व्यक्ति भी इनके नाम से बंध से बच जाता है। बंध काटने के दिन व्यक्ति को बेहोशी के चिन्ह आते हैं और रोगी बच जाता है। उपरोक्त स्थान के संबंध में ऐतिहासिक घटना है जो सत्य बताई जाती है। राजस्थान की पश्चिमी के अतिरिक्त अलाउद्दीन खिलजी ने राजा रतन सिंह की पुत्री रतनकुंवर के रूप सौन्दर्य की प्रसंसा सुन रखी थी। रूप सौन्दर्य में अद्वितीय रूपकुंवर को पदमिनी ही कहा जाता है। अत: उसने इस स्थान पर चढ़ाई कर दी। सात पुत्रों और एक पुत्री के पिता राजा रतनसिंह ने अलाउद्दीन खिलजी से लोहा लेने में ही अपना हित समझा। अलाउद्दीन की विशाल सेना के समक्ष एक सामान्य राजा कहां तक लड़ सकता था, अत: रत्नसिंह के सातों राजकुमार तथा स्वयं रत्नसिंह केशरिया बाना पहनकर युद्ध में काम आये। पुत्री रत्नकुंवर ने पृथ्वी मां से प्रार्थना की और वह उसी स्थान पर पृथ्वी में समा गई। रनवास की स्त्रियों ने जौहर किया और वहीं जल गईं। इस युद्ध की सत्यता को प्रमाणित करने वाला हजीरा जो हजारों सौनिकों के मरने की स्मृति स्वरूप बनाया जाता है। आज भी मरसैनी के आगे रतनगढ़ मार्ग पर बना हुआ है। जहां रत्नसिंह की तोपों से अलाउद्दीन खिलजी के सैनिक मारे गए थे। वहीं राजपुत्री रतनकुंवारी देवी के रूप में आज भी पूजी जाती हैं। जहां सभी दर्शनार्थियों की इच्छाएं पूर्ण होती हैं। तथा उनके सातों भाई कुंवर साहब के रूप में पूजे जाते हैं। जिनके स्मारक वन्य शैल पर स्थान-स्थान पर बने हैं। बड़े भाई के नाम पर कुंवंर साहब का बंध लगाया जाता है जो सर्पदंश से रक्षा करता है। अन्य भाइयों के स्थानों पर भी लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस स्थान से दो किलोमीटर पर देवगढ़ का सुरम्य स्थान एवं किला है जहां विशालकाय हनुमान जी की मूर्ति सद्य सिद्धि देने वाली है।

Sunday 13 May 2012

आगे बढ़ते चलो ...!





- राजकुमार सोनी

    पश्चिम के प्रसिद्ध विचारक इमर्सन का कथन है -  'मुझे नरक में भेज दो, मैं अपने लिए वहीं स्वर्ग बना लूँगा।Ó इमर्सन के पास नरक को स्वर्ग में बदलने का नुस्खा था। बड़ा अद्भुत और अजब हैं यह विचारों से बना है। एक को गिलास आधा खाली दिखाई देता है और दूसरे को आधा भरा। पहले की थिकिंग निगेटिव है और दूसरे की समझ पोजिटिव है। गिलास तो जैसा है वैसा ही है। उसके प्रति हमारे विचार हमारी जीवन शैली और विचार शक्ति को प्रकट करते हैं। मनुष्य जैसा सोचता है वैसा बनता है- यदि प्रयत्न ठीक दिशा में करता रहे। सोच और विचार स्वर्ग को नरक बना सकते हैं तो नरक को स्वर्ग में बदल सकते हैं।
    विचारों की विकृति ही दुर्भाग्य है एवं विचारों की सुकृति ही सौभाग्य है। सच तो यह है कि मनुष्य के भाग्य का निर्माण करता है। बल्कि यह कहना अधिक उपयुक्त है कि विचारों के माध्यम से स्वयं मनुष्य अपना भाग्य लिखा करता है। एक सामान्य सिपाही नेपोलियन बोनापार्ट बन जाता है। गरीब फोर्ड संसार का शीर्षस्थ धनपति बन जाता है। शक्ल से भद्दा (कुरूप) सामान्य वकील अमेरिका का राष्टï्रपति बनता है। विचारों की परिणति ही का दूसरा नाम भाग्य है और इसका विधायक मनुष्य स्वयं ही है।
    अपने भाग्य का निर्माता होने पर भी मनुष्य अपनी वैचारिक त्रुटियों के कारण ही दुर्भाग्य का शिकार बनता है क्योंकि वैचारिक विकृति अपने को क्षुद्र, तुच्छ एवं हेय मानने से ही आरंभ होती है। उसके व्यक्तित्व पर उसके विचार हावी हो जाते हैं और जन-जन को यह जानकारी देते रहते हैं कि यह व्यक्ति निराशावादी तथा गिरे हुए विचारों का है। अत: हम अपने को जिस प्रकार का बनाना चाहते हैं, उसी प्रकार के विचारों का सृजन हमें करना चाहिए। विचारों का प्रभाव निश्चित रूप से आचरण पर पड़ता है। हमारे आचरण हमारे विचारों का क्रियात्मक रूप है जिस दिशा में विचार चलते हैं हमारे शरीर और उसकी क्रियायें भी उसी दिशा में गतिशील हो जाती हैं। यही कारण है कि सभी मनुष्यों को विचार, बुद्धि और विवेक प्राप्त होने पर भी किसी का झुकाव विज्ञान की ओर होता है तो कोई व्यापार की तरफ झुकता है।
    यदि ऊँचे उठने, आगे बढऩे और सफलता प्राप्त करने का लक्ष्य हो तो अपने विचारों को भी वैसा ही विकसित करना चाहिए। यदि जीवन में सफलता, समाज में प्रतिष्ठïा और आत्मा में संतोष प्राप्त करना है तो  सबसे पहले विचारों, भावनाओं और चिन्तन को आशावादी और उदार बनाना चाहिए। हमें विचार शक्ति के महत्व को जानकर जीवन में ढालना चाहिए। अस्त-व्यस्त विचारों के कारण बहुधा लोगों को दुखी होते देखा जा सकता है। काल्पनिक चिंतायें उन्हें घेरे रहती हैं। विचारों पर नियंत्रण न कर पाने से ही अनचाही अनपेक्षित दिशाओं में हमारे विचार भटकते रहते हैं। अस्थिर चित्त से कोई काम भली-भांति सम्पन्न नहीं किया जा सकता है।
    हमें उपयोगी और आशावादी विचारों को विकसित एवं स्थापित करना चाहिए। हमें अभ्यास से अपने विचारों को साधना चाहिए। पर अपनी सीमा भी जानें। संसार में सभी वस्तुएं, सफलताएं सभी को नहीं मिल पाती हैं। शिव-संकल्प कर आगे बढ़े भगवान पर भरोसा रखें। सफलता आपके चरण चूमेगी। असंभव शब्द मूर्खों के शब्दकोश में ही पाया जाता है। शिव संकल्प कल्याण मार्ग की तरफ आपको चलाता है - बढ़ाता है और लक्ष्य पर पहुंचाता है।


email : rajkumarsoni55@gmail.com
My blog's
http://khabarlok.blogspot.com
http://sathi.mywebdunia.com


Saturday 12 May 2012

गुरु का वृष राशि में प्रवेश







गुरु, ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष, गुरुवार 17 मई 2012 को प्रात: 9.34 बजे रेवती नक्षत्र में शुक्र राशि वृष में प्रवेश करेंगे। गुरु इस दिन से 31 मई 2013 प्रात: 6.49 बजे तक अपने शत्रु शुक्र की राशि में ही विराजमान रहेंगे। इस दौरान 12 राशियों पर क्या-क्या प्रभाव पड़ेगा। आइये जानते हैं विस्तार से।

गुरु के राशि परिवर्तन को सभी उम्मीद भरी नजरों से देखते हैं। इसका कारण यह है कि गुरु नवग्रहों में ऐसा ग्रह है जो धर्म-अध्यात्म, बुद्धि-विवेक, ज्ञान, विवाह, पति, संतान, पुत्र सुख बड़े भाई का कारक माना जाता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी गुरु हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शरीर में वसा, पाचन क्रिया, कान, हृदय सहित लीवर को प्रभावित करता है।
अगर आप अविवाहित हैं और सादी करना चाहते हैं या फिर आप संतान के इच्छुक हैं तो इस दौरान आप भी गुरु को आशा भरी नजरों से देख सकते हैं। अगर आप नौकरी व्यवसाय में उन्नति की आशा रखते हैं अथवा किसी ऋण से मुकित की कोशिश कर रहे हैं तब भी गुरु के राशि परिवर्तन को उम्मीद भरी नजरों से देख सकते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि इन सभी विषयों में शुभ और अपेक्षित परिणाम आपको अपनी राशि के अनुरूप ही प्राप्त होंगे।

मेष : धन लाभ होगा
आपकी जन्म राशि से दूसरे घर में गुरु का गोचर होना आपके लिए सुखद होगा। गुरु के इस गोचर के प्रभाव से धन का लाभ होगा। यह आपके आत्मविश्वास को भी बढ़ाएगा तथा आप व्यवहार में भी बदलाव महसूस करेंगे। आप अगर विवाह के योग्य हैं तो आपकी शादी हो सकती है, संतान के इच्छुक हैं तो आपकी इच्छा पूरी होगी। छात्रों को शिक्षा में शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।

वृषभ : आत्म विश्वास बढ़ाएगा
गुरु का गोचर प्रथम भाव में होने के कारण आपको उन बातों से बचना चाहिए जिससे सम्मान की हानि हो सकती है। गुरु का यह गोचर कार्य क्षेत्र में अनचाहे स्थान पर स्थानांतरण करवा सकता है। कार्यों में संतुष्टि की कमी रह सकती है। आपके कार्य विलंब से पूरे होंगे तथा आपके कार्य को कम सराहा जा सकता है। इसके अलावा मेहनत के बावजूद सफलता नहीं मिलने से मन असंतुष्ट रह सकता है।

मिथुन : मन असंतुष्ट रहेगा
बारहवें घर में गुरु का गोचर अशुभ कहलाता है। गुरु के इस गोचर के प्रभाव के कारण आपके घर में कई मांगलिक कार्य होंगे जिससे आपके व्यय बढ़ेंगे। इससे आपको आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। मित्रों द्वारा लगाये गये आरोप से मन दु:खी रह सकता है। परिवार में जीवन साथी एवं संतान से मतभेद हो सकता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी समय कष्टदायी रह सकता है जिससे कोई पुराना रोग उभर सकता है।

कर्क : आर्थिक स्थिति में सुधार होगा
कर्क राशि में आपका जन्म हुआ है तो गुरु का यह गोचर आपके लिए अत्यंत शुभ फलदायी रहेगा। इसका कारण यह है कि गुरु का गोचर आपकी राशि से एकादश भाव में हो रहा है। इस गोचरीय स्थिति के कारण आपको धन का लाभ मिलेगा जिससे आर्थिक स्थिति में तेजी से सुधार होगा। सुख-सुविधाओं एवं मान-सम्मान में बी बढ़ोत्तरी होगी। मित्रों से भी लाभ की अच्छी संभावना रहेगी। अगर इन दिनों आपकी शादी की बात चल रही है तो आपका विवाह हो सकता है। अगर आप विवाहित हैं और संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं तो आपकी मुराद पूरी हो सकती है।

सिंह : संघर्षमय समय व्यतीत होगा
गुरु की इस गोचरीय अवधि में आपको धैर्य एवं समझदारी से चलने का प्रयास करना होगा क्योंकि आपके लिए यह समय संषर्घमय रह सकता है। आपके लिए उचित होगा कि अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें और सभी को आदर दें। इससे आपका मान-सम्मान बना रहेगा। आर्थिक परेशानियां भी इन दिनों सिर उठा सकती हैं। अत: नए निवेश सोच समझकर करें। नई योजना पर कार्य शुरू करने की सोच रहे हैं तो अभी उसे टाल देना उचित रहेगा क्योंकि, इस विषय में भी यह समय गुरु का आपकी जन्म राशि से दसवें घर में होना शुभ प्रतीत नहीं होता है।

कन्या : मन की इच्छाएं पूर्ण होंगी
आपके लिए गुरु का वृष राशि में गोचर करना शुभ फलदायी रहेगा। गुरु की इस गोचरीय स्थिति के कारण भाग्य में वृद्धि होगी। धर्म एवं आध्यात्मिक दृष्टि से समय उत्तम रहेगा जिससे घर में धार्मिक कार्य सम्पन्न होंगे। भाई एवं संतान पक्ष से सहयोग प्राप्त होगा। आप अपने प्रयासों से मन की कुछ इच्छाओं को पूर्ण कर सकते हैं। बीते दिनों जिन समस्याओं से आप परेशान थे उनमें कमी महसूस कर सकते हैं।

तुला : वाणी व क्रोध पर नियंत्रण रखें
आपको अपनी वाणी के साथ ही साथ क्रोध पर भी नियंत्रण रखना होगा। अन्यथा घर-परिवार में जहां मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ सकता है, वहीं कार्यक्षेत्र में भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। मान-सम्मान की हानि की संभावना होने के कारण भी आपके लिए इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है। गुरु का गोचर आपकी जन्म राशि से आठवें घर में होने से यह आपके स्वास्थ्य के लिए कष्टकारी रह सकता है। ऐसे में आपके लिए उचित होगा कि अपनी सेहत का ध्यान रखें तथा अनावश्यक भाग-दौड़ से बचें।

वृश्चिक : कामयाबी का रास्ता खुलेगा
गुरु का गोचर आपकी जन्म राशि से सातवें घर में हो रहा है। यह आपके लिए बहुत अच्छी स्थिति है। इस गोचर के कारण आजीविका के क्षेत्र में सभी प्रकार की परेशानियां धीरे-धीरे कम होती जाएंगी और कामयाबी का रास्ता खुलेगा। आर्थिक  परेशानियां भी दूर होंगी और आपने किसी से लोन लिया है तो उसे चुका देंगे। पारिवारिक समस्याएं भी बातचीत व समझदारी से सुलझ सकती हैं। अत: प्रयास कीजिए। विवाह के इच्छुक हैं और घर में विवाह संबंधी बातचीत चल रही है तो इस अवधि में आपकी शादी होने की संभावना भी प्रबल है। सगे-संबंधियों से सहयोग प्राप्त होगा।

धनु : स्वास्थ्य पर ध्यान दें
इस अवधि में आपके लिए धैर्य एवं परिश्रम से कार्य करना उचित होगा क्योंकि गुरु का गोचर आपकी राशि से छठे घर में हो रहा है। इस गोचर के प्रभाव के कारण आपको स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना कना पड़ सकता है, विशेष तौर पर पेट संबंधी रोग आपके लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं। आप अगर किसी प्रतियोगिता परीक्षा में सम्मिलित हो रहे हैं तो काफी मेहनत करनी होगी अन्यथा सफलता कठिन होगी। दाम्पत्य जीवन में भी समस्याएं उत्पन्न होंगी।

मकर : शुभ फल मिलेगा
आपके लिए गुरु का गोचर जन्म राशि से पांचवे घर में होना शुभ फलदायी रहेगा। गुरु के इस गोचरीय प्रभाव के कारण आपको भाग्य का सहयोग प्राप्त होगा। कई प्रकार की उलझनों को सुलझाने में सफल होंगे। नौकरी एवं व्यवसाय में लाभ की अच्छी संभावना रहेगी। कई नए कार्य भी इस अवधि में पूरे होंगे। आप चाहें तो इस समय निवेश भी कर सकते हैं। विवाह एवं संतान प्राप्ति के लिए भी गुरु का वृषभ राशि में गोचर शुभ रहेगा।

कुंभ : नौकरी-व्यवसाय में बदलाव होगा

वृष राशि में गुरु का गोचर होने से आपको कई प्रकार की परेशानियों से राहत मिलेगी, परन्तु मानसिक चिंताएं बढ़ेगी। इस दौरान आप स्थान परिवर्तन कर सकते हैं अथवा नौकरी एवं व्यवसाय में बदलाव कर सकते हैं। कार्य-क्षेत्र में सहकर्मियों से विवाद हो सकता है। इसी प्रकार भाई-बंधुओं से भी मतभेद की स्थिति रह सकती है। आपकी मां को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आप चिकित्सक से परामर्श जरूर ले लें।

मीन : मतभेद उभर सकते हैं
गुरु का गोचर इस समय आपकी जन्म राशि से तीसरे घर में होगा जिससे भाई-बहनों से मतभेद हो सकता है। सगे-संबंधियों से भी किसी बात को लेकर मतांतर रह सकता है। इन दिनों आप शारीरिक थकान महसूस कर सकते हैं। आर्थिक स्थिति में अनुकूलता बनाये रखने के लिए तथा मान-सम्मान प्राप्ति के लिए अपने कार्य-व्यवसाय पर मनोयोग से ध्यान देना होगा। आपके लिए सलाह है कि गुरु के इस गोचर की अवधि में लंबी यात्राओं से बचें।

जातक क्या करें
इस अवधि में गुरु का शनि से षडाष्टक संबंध बन रहा है, जो अशुभ फलदायक माना जा रहा है। इस स्थिति में गुरु के अशुभ प्रभाव से बचाव के लिए भगवान विष्णु की पूजा करें। गुरु का व्रत, गुरु के मंत्र ऊं बृहस्पतये नम: का जप करें। मंदिर में पीले फूल, बेसन के लड्डू आदि अर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। श्री सूक्त व लक्ष्मी सूक्त का पाठ धन लाभ के लिए विशेष लाभकारी रहेगा।

- अरुण बसंल
फ्यूचर समाचार सेवा